Friday, January 3, 2025

तेरे इंतज़ार की आग (ग़ज़ल)

तेरे इंतज़ार की आग (ग़ज़ल)

आए हैं तेरे द्वार, पाने के लिए प्यार,
दिल को नहीं करार, तेरा ही इंतज़ार।

ज़ख़्मों को जोड़ने, लाए हैं अपनी चाह,
तेरी गली का सफर, बन जाए मेरा संसार।

आँखों में तेरा नाम, दिल में तेरी सदा,
हर लम्हा तुझसे जुड़ा, हर सांस है वफ़ादार।

फूलों से कर ली बात, चांद से मांगी दुआ,
तेरा मिलन हो कभी, मिट जाए दिल की पीर।

ख़्वाबों के गांव में, अब तक बसे हो तुम,
सावन की हर फुहार, करती तेरा इज़हार।

यादें तुम्हारी जलाएं, हर एक शब में दीप,
आँखें नमी से भरी, दिल पर लगे अंगार।

चाह इतनी 'जी.आर.', सीने में आग जलती,
यादों के गुल खिले हैं, हर दर्द है गुफ़्तार।

जी आर कवियूर
04-01-2025

No comments:

Post a Comment