Monday, January 6, 2025

"तेरी यादों के गुलाब" (ग़ज़ल)

"तेरी यादों के गुलाब" (ग़ज़ल)

तेरे होठों की लाली देख,
दिल में यादों के गुलाब खिले।
तेरी ज़ुल्फों की छांव तले,
हमने चाहत के ख्वाब बुनें।

तेरी आँखों के जाम में,
इश्क़ का दरिया समा गया।
हर शब तेरी सूरत को देख,
चाँद भी खुद पे शर्मिंदा हुआ।

तेरी खुशबू से महके चमन,
तेरी बातों से रोशन जहाँ।
तेरे कदमों की आहट से,
धड़कनें जैसे बेकाबू हुईं।

तेरा मिलना दुआओं का फल,
तेरा बिछड़ना सज़ा सा लगे।
हर घड़ी तेरी यादों के संग,
हमने अश्कों के दीप जलाए।

अगर हो सके तो लौट आ,
ज़िंदगी में बहार ले आ।
तेरे बिना ये वीरान दिल,
ख़ाली सफ़हा बना पड़ा।

क्या ये ग़ज़ल तेरा नाम ले,
जो कभी जी आर ने लिखी तेरे लिए।

जी आर कवियूर
07-01-2025

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