Monday, January 27, 2025

यादों का सफ़र (ग़ज़ल)

यादों का सफ़र (ग़ज़ल)

ज़िंदगी के सफ़र में कुछ यादें बन जाती हैं,  
कुछ नाम, कुछ लम्हे, कुछ रिश्ते सज जाती हैं।  

वक्त के साथ बदलते हैं चेहरे और निशान,  
पर दिल की गहराई में वही प्यार बस जाती हैं।  

वसंत की सुगंध, ग्रीष्म की गर्म साँसें जाती हैं,  
शीतल सर्दियों की ठंडक, बारिश की खुशियाँ जाती हैं।  

तेरी यादों की चाँदनी, मधुर दर्द की ठंडी हवा,  
शब्दों की मर्मराती लहरों में, प्रेम का संगीत जाती हैं।  

हर खुशी, हर ग़म, हर अरमान तेरा है,  
तेरे बिना जीवन का हर लम्हा अधूरा जाती हैं।  

"जी.आर." की रूह तक ये सदा रहे,  
इस ग़ज़ल में उनकी ही नज़र जाती हैं।  

"जी.आर." के दिल से निकली ये ग़ज़ल सजी है,  
हर लफ़्ज़ में उनकी मोहब्बत जाती हैं।  

जी आर कवियूर
27 -01-2025



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