Saturday, January 4, 2025

"तेरी याद का उजाला" (ग़ज़ल)

"तेरी याद का उजाला" (ग़ज़ल)

मांगी मन्नतें बस तेरे लिए,
मेरी जन्नतों की दुआ तू ही है।
हर ख्याल में तेरी महक बसी,
मेरे ख्वाबों का पता तू ही है।

तेरी बातों का नूर बाकी है,
मेरे लफ़्ज़ों की वफा तू ही है।
बिन तेरे हर घड़ी अधूरी है,
ज़िंदगी का फलसफा तू ही है।

तेरे ग़म से भी रौशन है दिल,
मेरी हर ख़ुशी की वजह तू ही है।
'जी आर के' की ये तड़प कहे,
दिन कटते नहीं तेरी याद बिना।

जी आर कवियूर
05-01-2025

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