नज़रों में बसते हैं ख्वाब सजे हुए,
दिल की ज़मीं पर हैं गुल खिले हुए।
बिखरे अपने सपनों के फूल तन्हाई के बैग में,
सदाबहार आए चमन में, पर यादें ठहरीं रेत में।
चाहत के मंज़र ढूंढते, आवारा दिल की राह में,
खोया हुआ हर इक कदम, गुज़रा अश्क़ों के साए में।
जी आर के नज़रों में ख्वाब सा, महका हर एक फूल फिर,
चमन बसा दिल की ज़मीं पर, रुकी ज़िन्दगी के उस पल में।
खामोशियों की दास्तां, बयाँ हुई हर सांस में,
सच कहें या झूठ मानें, तुम्हारे असर की बात में।
अब राहें भी रोशन हैं, सितारों ने आसरा दिया,
जो खोया था कभी हमने, वो सपना फिर से जगा दिया।
जी आर के शेरों में बसती है दास्तां,
हर लफ्ज़ में दिखती है दिल की खलिश यहाँ।
जी आर कवियूर
20 -01-2025
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