सदियों से पुकारते रहे तुम्हें,
यादें तुम्हारी हर वक्त सताएं।
तन्हाई में तेरा जिक्र जो हुआ,
आँखों से अश्क बहते ही जाएं।
रूठे थे जो लम्हे कहीं खो गए,
फिर भी तेरे ख्वाब हमें लुभाएं।
फासले ज़माने ने बढ़ा दिए,
मगर दिल से तुम्हें दूर न कर पाएं।
तेरे बग़ैर दिल वीरान सा है,
ख्वाबों में तेरी तस्वीर सजाएं।
मुस्कान तेरी अब भी यादों में है,
चाहत की राहें खुद ब खुद बनाएं।
ज़ख्म जो दिए तूने भरे न कभी,
हर दर्द में अब हँस के मुस्कराएं।
'जी आर' की दिल से है बस इल्तिजा,
एहसास प्यार का तुम भी तो जगाएं।
जी आर कवियूर
16 -01-2025
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