संध्या देवी ने कुमकुम लगाई
चिड़ियाँ गाईं, हरि नाम जपे
रात के चाँद ने मुस्कान लहराई
चुपके से निशापति ने आहट दी
तारों ने आँखों में ख्वाब सजाए
हवा ने छुआ, उदासी समेटी
मुलायम बुनियाद पर खामोशी ने
तेरे प्यार की कमी को महसूस किया
विरहा की वेदना में गाया
रात के पंछी का शोक गीत
यादों की राह पर चलते हुए
तेरे आने का इंतजार किया अकेले
जी आर कवियूर
12 -01-2025
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