Sunday, January 12, 2025

रात की विरहा राग

रात की विरहा राग


संध्या देवी ने कुमकुम लगाई 
चिड़ियाँ गाईं, हरि नाम जपे
रात के चाँद ने मुस्कान लहराई
चुपके से निशापति ने आहट दी

तारों ने आँखों में ख्वाब सजाए
हवा ने छुआ, उदासी समेटी
मुलायम बुनियाद पर खामोशी ने
तेरे प्यार की कमी को महसूस किया

विरहा की वेदना में गाया
रात के पंछी का शोक गीत
यादों की राह पर चलते हुए
तेरे आने का इंतजार किया अकेले

जी आर कवियूर
12 -01-2025



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