सावन जो तेरी याद लाई,
तनहा मन को सुकून लाई।
बूँदें बरसीं तो दर्द जागा,
सिसकती रुत भी उमंग लाई।
भीगी रातें, भीगे सपने,
तेरी खुशबू नशीली लाई।
नज़रों में मौसम का जादू,
दिल की मिट्टी में हरियाली लाई।
छू गई पत्तों की सरसराहट,
तेरी बातों की फिर रुबाई लाई।
आंखों में ठहरी जो इक नमी थी,
वो फिर अश्कों की ढलान लाई।
दिल के वीरान सूने मकाँ में,
तेरी यादों की रौशनी लाई।
"जी आर के" बस तुझको सोचे,
तेरी चाहत में ठंडक लाई।
जी आर कवियूर
29 -01-2025
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