Friday, January 10, 2025

यादों की ख़ामोशी

यादों की ख़ामोशी 

तेरी यादों से रचता है शायद
बसंत की कोई मधुर ख़ुशबू
प्रेम का पराग या कोई एहसास,
या कोयल का विरह भरा गीत.

तेरे स्नेह की लहरों में
छुपे हैं मेरे सारे सपने,
हवा में खिली कोई मौन प्रीत
यहीं महसूस करता है मेरा मन.

पलकों के उठते ही जैसे
शाम के चाँद की सुंदर छवि,
अनजाने आए कोई स्वप्न-स्मृति
सामने चमके प्रेम की उम्मीदें.

जी आर कवियूर
10 -01-2025

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