तेरी यादों से रचता है शायद
बसंत की कोई मधुर ख़ुशबू
प्रेम का पराग या कोई एहसास,
या कोयल का विरह भरा गीत.
तेरे स्नेह की लहरों में
छुपे हैं मेरे सारे सपने,
हवा में खिली कोई मौन प्रीत
यहीं महसूस करता है मेरा मन.
पलकों के उठते ही जैसे
शाम के चाँद की सुंदर छवि,
अनजाने आए कोई स्वप्न-स्मृति
सामने चमके प्रेम की उम्मीदें.
जी आर कवियूर
10 -01-2025
No comments:
Post a Comment