Monday, January 13, 2025

महाकुंभ मेला: एक पवित्र गीत

महाकुंभ मेला: एक पवित्र गीत

गंगा की लहरों में, इतिहास बहता,
यमुना के संग संग, अद्भुत कहता।
सरस्वती माँ का, अदृश्य सहारा,
तीन धाराओं का, दिव्य उजियारा।

महाकुंभ मेला, पवित्रता का प्याला,
हर मन का सपना, हर जन का निवाला।
साधु-संतों का, संगम यहाँ मिलता,
ध्यान और तप में, जीवन सिमटता।

शिव का आशीष, गंगा का प्रवाह,
विष्णु की महिमा से, जुड़ा हर राह।
ब्रह्मा के सृजन की, यह है निशानी,
त्रिदेव की कृपा, सजी कहानी।

पापों का नाश, पुण्य का बहाव,
त्रिवेणी का जल, है मोक्ष का चाव।
विश्व को संदेश, यहाँ से जाता,
आस्था का सागर, यहाँ लहराता।

जी आर कवियूर
13 -01-2025

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