Thursday, January 2, 2025

"दिल की तन्हाई" (ग़ज़ल)

"दिल की तन्हाई" (ग़ज़ल)

तेरे ग़म भुलाना आसान नहीं है,
यादों के इस मंज़र में तनहाई भी कम नहीं है।
तेरे बिना जो बीते हैं दिन, वो लम्हे हम नहीं भूलते,
आँखों में जो ख्वाब हैं, वो भी अब तक कम नहीं है।

दिल में तेरे हर एक अल्फ़ाज़ की गूंज सुनाई देती है,
तेरी यादों में खो जाने की राह हमेशा दिखाई देती है।
इन्हें दिल से निकाल दूँ, ये पल मैं कब कर पाया,
तेरे बिना सब कुछ अधूरा, यही एहसास है मेरा।

जी.आर.के. यादों से मिटती नहीं अब तो,
चले आओ, तुम ही दिल की तन्हाई को खत्म करो।
दिल की धड़कनें में तेरे नाम को पुकारता राहु,
तुमसे मिलने की चाहत, अब तो ये राहत भरती हैं।

 जी आर कवियूर
03-01-2025

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