सूरज की किरणें, नई रोशनी लाएं,
मकर संक्रांति का पर्व, खुशियां फैलाएं।
तिल-गुड़ का स्वाद, मिठास भरे दिलों में,
पतंगों के संग, सपने उड़ें गगन में।
पोंगल की महिमा, धान के खेतों में गूंजे,
प्रकृति के संग, हर जीव आनंद में झूले।
केरल की धरती, सबरीमाला की शान,
मकरज्योति का प्रकाश, भक्ति का प्रयाण।
लोहड़ी की आग, जीवन को जगाए,
गिद्धा-भंगड़ा की धुन, दिलों को महकाए।
बिहू के रंग, असम के संगम की शान,
बैसाखी का पर्व, नई फसल का जश्न है।
जी आर कवियूर
14 -01-2025
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