Friday, January 31, 2025

मुझमें इश्क़ हो गई ( ग़ज़ल)

मुझमें इश्क़ हो गई (ग़ज़ल)

नज़रों से चाहा तुझको, इश्क़ हो गई,
मौसम का तराना मुझमें, इश्क़ हो गई।

शबनम सी ख्वाबों में घुलती रही रात,
सांसों की रवानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

तेरी बात चली तो महक उठे गुल,
हर धड़कन पुरानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

तन्हा था कभी, अब तेरा नशा है,
तेरी बेकरारी मुझमें, इश्क़ हो गई।

लब खामोश थे, पर दिल ने सुना,
तेरी हर निशानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

चाहा था तुझे बस एक दुआ की तरह,
अब बंदगी सारी मुझमें, इश्क़ हो गई।

जी आर का दिल अब बस तेरा हुआ,
तेरी ही कहानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

जी आर कवियूर
01 -02 -2025

"यादों के प्रेमाक्षर"

"यादों के प्रेमाक्षर"



तेरे बारे में सोचते हुए
मैं सूखी नदी से बात करता हूं।

पत्ते को झटने के लिए तैयार,
हवाओं का इंतजार करते हुए, पेड़ों के पास।

मैं अकेला गाने के लिए तैयार,
चिड़ियों के गीतों में अपनी आवाज़ मिलाने।

सुर में समाने के लिए तैयार,
चाँदनी रातों में, साजों के साथ।

न किसी ने देखा, न किसी ने जाना,
तेरे बारे में—
अब मैं किससे पूछूँ, सनम?

मैं अपने यादों की किताब में,
एक पन्ना बनकर तेरे साथ हूं।

जो भी कहा, जो भी देखा,
वह सब कुछ अब मेरे लिए सच है।

मेरे शब्दों में सदा बसी,
प्रेम की मीठी पीड़ा बनकर।

तेरी यादों से भरी,
मेरे शब्दों में एक पन्ना हरदम है।

धीरे-धीरे रातों में बहती,
दिनभर लटके स्वप्नों से मिलती है।

आंखों में बसी,
वो यादें जो कभी न भूल सकेंगे।

तू जो मेरे भीतर बसा,
वह स्वच्छ बारिश की सुंदरता बन गई।

यादों की छांव में मैं,
तुझे कविता बनाकर खोज रहा हूं, सखि!

जी आर कवियूर
31 -01-2025


Thursday, January 30, 2025

उठी हुई यादें (ग़ज़ल )

उठी हुई यादें (ग़ज़ल )

मोह से परे जागी हैं,
तेरी यादें मुझमें जागी हैं।

वक्त गुजर जाए, तुझे भूल नहीं सकता,
तेरी यादें हर वक्त जागी हैं।

फूल रंग बदल सकते हैं, मुरझा सकते हैं,
मगर तेरी यादें हर रोज जागी हैं।

रास्ते बदल जाएं, समय घूम जाए,
लेकिन तेरा असर दिल में जागी हैं।

चाँद सितारे ढल जाएं, या आँसू बह जाएं,
तेरी यादें सदा जागी हैं।

प्रेम सच्चा वही रहेगा,
तेरी यादों में मैं जागी हूँ।

जी आर ने कहा,
तू हमेशा मेरे दिल में जागी है।

जी आर कवियूर
31 -01-2025

Wednesday, January 29, 2025

सावन जो तेरी याद लाई (ग़ज़ल )

सावन जो तेरी याद लाई (ग़ज़ल )

सावन जो तेरी याद लाई,
तनहा मन को सुकून लाई।

बूँदें बरसीं तो दर्द जागा,
सिसकती रुत भी उमंग लाई।

भीगी रातें, भीगे सपने,
तेरी खुशबू नशीली लाई।

नज़रों में मौसम का जादू,
दिल की मिट्टी में हरियाली लाई।

छू गई पत्तों की सरसराहट,
तेरी बातों की फिर रुबाई लाई।

आंखों में ठहरी जो इक नमी थी,
वो फिर अश्कों की ढलान लाई।

दिल के वीरान सूने मकाँ में,
तेरी यादों की रौशनी लाई।

"जी आर के" बस तुझको सोचे,
तेरी चाहत में ठंडक लाई।

जी आर कवियूर
29 -01-2025

तेरी तलाश में (ग़ज़ल )

तेरी तलाश में (ग़ज़ल )

बीते हुए दोनों की तलाश में
तेरी यादों की महक की तलाश में

हर मोड़ पे ठहरी उदास शामें
उजड़े हुए गुलशन की तलाश में

कभी चाँदनी में तेरा अक्स देखा
कभी जल गई शब तेरी तलाश में

ग़ज़ल बनके बिखरी तेरी बातें
उलझी हुई लफ़्ज़ों की तलाश में

सहर भी ठहर गई मेरी उलझन पे
बिखरी हुई राहों की तलाश में

बरसती रही अश्कों में तन्हाई
डूबी हुई कश्ती की तलाश में

तेरी राह में मैंने रखे थे कदम
हर दर्द-ए-दिल की तलाश में

"जी आर के तनहा" हर एक राह देखी
कहीं तू मिला, कहीं खुदा की तलाश में

जी आर कवियूर
29 -01-2025

Monday, January 27, 2025

ग़ज़लों की महफ़िल रात में ( ग़ज़ल )

ग़ज़लों की महफ़िल रात में (ग़ज़ल )

तारों भरी रात में,  
आँखें मिलीं रात में।  

चाँदनी के साये में,  
दिल धड़का रात में।  

खो गए राहों में हम,  
याद तेरी रात में।  

तेरी चुप्पी के साथ,  
रहा गूँजा रात में।  

दर्द का साज़ बजा,  
हर साँस गाये रात में।  

तन्हाई के आगोश में,  
सपने जागे रात में।  

शायरी की महफ़िल में,  
मन भरी रातों में।  

ग़ज़लों की महफ़िल में,  
तेरे नैना चमके रात में।  

जी आर कहते हैं अब,  
यही सही रात में।  

चाँदनी और तू

चाँदनी और तू

चाँदनी भरी रात की ठंडक में  
मैंने तुझे बेहद चाहा
एक पल भी तुझे छोड़कर  
अब मैं रह नहीं सकता, ओ मेरी जान...  

तेरे नरम स्पर्श से  
मेरा बदन रोमांचित हो गया  
तूने मुझमें आग भर दी  
और मुझे पूरी तरह जला डाला...  

जब तेरी छाया मुझे छूती है  
मैं तुझमें खो जाता हूँ  
प्यार की लौ में  
तू और मैं एक हो जाते हैं...  

चाँदनी भरी रात की ठंडक में  
मैंने तुझे बेहद चाहा 
एक पल भी तुझे छोड़कर  
अब मैं रह नहीं सकता, ओ मेरी जान...  

जी आर कवियूर
28 -01-2025

यादों के सीचे (ग़ज़ल)

यादों के सीचे (ग़ज़ल)

आकाश के तले, पर्वतों के नीचे,  
आश लिए पहुंचा तेरी यादों के सीचे।  

तेरी बातों की खुशबू, तेरी मुस्कान की चाहत,  
दिल को बांध लिया तूने, यादों के सीचे।  

रातों की तन्हाई में, तेरा नाम लिखता हूं,  
ख्वाबों में तेरी सूरत, यादों के सीचे।  

तेरी आँखों की गहराई, समंदर सी लहराती,  
हर दम तेरी ख्वाहिश, यादों के सीचे।  

तेरे बिना जीना मुश्किल, तेरे बिना कैसे रहूं,  
हर पल तेरी फिक्र में, यादों के सीचे।  

मेरी धड़कन तेरी है, मेरी सांस तेरी है,  
तेरे बिना ये जीवन, यादों के सीचे।  

"जी आर" कहता है अब, तू ही है मेरी मंजिल,  
तेरे बिना ये जहां, यादों के सीचे।  

जी आर कवियूर
27 -01-2025

यादों का सफ़र (ग़ज़ल)

यादों का सफ़र (ग़ज़ल)

ज़िंदगी के सफ़र में कुछ यादें बन जाती हैं,  
कुछ नाम, कुछ लम्हे, कुछ रिश्ते सज जाती हैं।  

वक्त के साथ बदलते हैं चेहरे और निशान,  
पर दिल की गहराई में वही प्यार बस जाती हैं।  

वसंत की सुगंध, ग्रीष्म की गर्म साँसें जाती हैं,  
शीतल सर्दियों की ठंडक, बारिश की खुशियाँ जाती हैं।  

तेरी यादों की चाँदनी, मधुर दर्द की ठंडी हवा,  
शब्दों की मर्मराती लहरों में, प्रेम का संगीत जाती हैं।  

हर खुशी, हर ग़म, हर अरमान तेरा है,  
तेरे बिना जीवन का हर लम्हा अधूरा जाती हैं।  

"जी.आर." की रूह तक ये सदा रहे,  
इस ग़ज़ल में उनकी ही नज़र जाती हैं।  

"जी.आर." के दिल से निकली ये ग़ज़ल सजी है,  
हर लफ़्ज़ में उनकी मोहब्बत जाती हैं।  

जी आर कवियूर
27 -01-2025



यादें सजी है तेरे लिए (ग़ज़ल)

यादें सजी है तेरे लिए (ग़ज़ल)

तेरी यादों की बारात सजी है,  
मन में तेरी एक लहर सजी है।  

दिल के आँगन में खुशबू तेरी,  
हर पल तेरी ही तस्वीर सजी है।  

तेरे ख्यालों का साथ है अब तक,  
रातों में तेरी ही चांदनी सजी है।  

तेरे बिना जग सूनी लगती है,  
हर दिशा में तेरी ही बात सजी है।  

तेरे बिना जीना अब भारी है,  
हर साँस में तेरी प्यास सजी है।  

"जी.आर." की रूह तक ये सदा रहे,  
इस ग़ज़ल में उनकी ही नज़र सजी है।  


जी आर कवियूर
27 -01-2025

Friday, January 24, 2025

ग़ज़ल: "पुरानी यादों की खुशबू"

ग़ज़ल: "पुरानी यादों की खुशबू"

पुरानी यादों की खुशबू फैलती है,
किताबों के पन्नों से निकलती है।

आंखों में सुलगती हुई,
नवीन जागृति ये दिल में बसी है।

नीर के तारों में छुपे ख्वाब,
सपने गिरते हैं, और फूल खिलते हैं।

भरपूर चांदनी की छांव में,
तेरी उंगलियों को ढूंढते हुए।

क्या हवा का प्यार बह रहा है,
मन की धुन अब साथ चलती है।

पुरानी यादों की खुशबू फैलती है,
किताबों के पन्नों से निकलती है।

जी आर का ये सफर, हर इक याद में बसा,
ग़ज़ल की राह में बस, हर लम्हा लिखा है खुदा।

जी आर कवियूर
25 -01-2025

ग़ज़ल: "इश्क़ की राहों में"

ग़ज़ल: "इश्क़ की राहों में"


रूबरू तुझे देखने के लिए,
दिल मचल उठा तेरे इश्क के लिए।

चांदनी भी सजी तेरी राहों में,
दिल तरस गया उस दीद के लिए।

तेरे लफ्ज़ों में जादू बसा हुआ,
हर सदा उठी उस जिक्र के लिए।

ख्वाब सारे तेरे नाम हो गए,
दुआ मांगी हर एक शब के लिए।

तेरे चेहरे की रौशनी में छुपा,
चैन मिलता है हर सहर के लिए।

तेरी बाहों में वक्त ठहर जाए,
खुदा से मांगा इसी जश्न के लिए।

दिल की धड़कन भी थमने लगी,
जब कदम बढ़ा तेरे दिल के लिए।

‘जी आर’ को बेचैनी बढ़ने लगी,
तुझे मिलने के हर पल के लिए।

जी आर कवियूर
25 -01-2025

Tuesday, January 21, 2025

सितारों से भी नूर

सितारों से भी नूर

सितारों, तुमने देखा है क्या
उनकी नूर चाँद से भी बेहतर
हसीनों की राहों में जो बिखरे
वो लम्हे हैं कितने सुहाने, कितना प्यारे

जितनी बार तुमने देखी हो रातें
उनमें ही छुपी हो एक हसीन तस्वीर
कभी वो नजरें, कभी वो बातें
जो हमें कर दें दिल के करीब

तेरे हँसी में छुपा सुकून होता
वो रातें जो कभी ज्यादा रोशन
मेरे दिल की बगिया में महकते हैं
तेरे ख्वाब, जैसे फूलों की खुशबू

सितारों में बसी है एक और चाहत
जो दिल की गहराई में बसा करती है
तेरी यादों की नर्म लहरें
हर बार नया प्यार का गीत गाती है

जी आर कवियूर
22 -01-2025


ग़ज़ल: तेरे बिना जीना दुश्वार

ग़ज़ल: तेरे बिना जीना दुश्वार

एक नज़र देखने को दिल तरस गया,
यादों में जीने का हुनर सा बन गया।

तेरी मुस्कान का जादू बसा है यहां,
हर सदा में तेरा नाम गूंजा है वहां।

चाहतों की राह में बस तेरा ही ख्याल,
दिल की दुनिया में तेरा राज बन गया।

आसमान से गिरा हर सितारा कहे,
तेरे बिना मेरा हर ख्वाब टूट गया।

सांसें भी तेरे नाम की मुन्तज़िर रहीं,
तेरे बिना हर पल वीरान सा बन गया।

जी आर का जी नहीं मानता तेरे बग़ैर,
तेरे बिना जीना बड़ा दुश्वार हो गया।

जी आर कवियूर
21 -01-2025

Sunday, January 19, 2025

"नज़रों में बसते ख्वाब"( ग़ज़ल)

"नज़रों में बसते ख्वाब"( ग़ज़ल)

नज़रों में बसते हैं ख्वाब सजे हुए,
दिल की ज़मीं पर हैं गुल खिले हुए।

बिखरे अपने सपनों के फूल तन्हाई के बैग में,
सदाबहार आए चमन में, पर यादें ठहरीं रेत में।

चाहत के मंज़र ढूंढते, आवारा दिल की राह में,
खोया हुआ हर इक कदम, गुज़रा अश्क़ों के साए में।

जी आर के नज़रों में ख्वाब सा, महका हर एक फूल फिर,
चमन बसा दिल की ज़मीं पर, रुकी ज़िन्दगी के उस पल में।

खामोशियों की दास्तां, बयाँ हुई हर सांस में,
सच कहें या झूठ मानें, तुम्हारे असर की बात में।

अब राहें भी रोशन हैं, सितारों ने आसरा दिया,
जो खोया था कभी हमने, वो सपना फिर से जगा दिया।

जी आर के शेरों में बसती है दास्तां,
हर लफ्ज़ में दिखती है दिल की खलिश यहाँ।

जी आर कवियूर
20 -01-2025

"तेरे इश्क़ का अफसाना" ( ग़ज़ल)

"तेरे इश्क़ का अफसाना" ( ग़ज़ल)


मैं तेरा दीवाना हूं,
मैं तेरा दीवाना हूं,
तेरे प्यार का मारा बेबस हूं।

तेरी जुल्फों का हर एक साया,
तेरी जुल्फों का हर एक साया,
चुपके से कहता है, मैं प्यासा हूं।

तेरा जलवा है जैसे चांदनी,
तेरा जलवा है जैसे चांदनी,
रूह को छूता इक तराना हूं।
तेरी यादों का हर एक नग़्मा,
तेरी यादों का हर एक नग़्मा,
दिल में बसा हुआ अफसाना हूं।


तेरी आँखों के इस समंदर में,
तेरी आँखों के इस समंदर में,
डूबने वाला इक दीवाना हूं।

हर धड़कन में तेरी आहट है,
हर धड़कन में तेरी आहट है,
दिल के करीब तेरा अफसाना हूं।
सदियों से तलाश थी तेरी,
सदियों से तलाश थी तेरी,
अब जीने का बस बहाना हूं।


जी आर की चाहत के मजबूरी,
जी आर की चाहत के मजबूरी,
हर ग़ज़ल में तेरा ही अफसाना हूं।

जी आर कवियूर
19 -01-2025

Saturday, January 18, 2025

"यादों की ग़ज़ल वसंत"

"यादों की ग़ज़ल वसंत"

सौ सपने मिलकर एक हो जाएं,
चाँदनी में मिठी पीड़ा समाए।
रागों में बहे मधुर शहद सा,
क्या ये प्रेम का न कोई गीत गाए?

आँसू की बूँदें चूमती हैं,
दिल में बिखरते हैं सुंदर पल।
शब्दों का किनारा खो जाता है,
स्वरों की खामोशी गाती है एक रहस्य।

संगीत की लहरें हर जगह खेलें,
मन में गाने का सुख बसा हो,
जिंदगी का मर्म बन्धन से मुक्त,
अंधेरे दिल में तारे चमकते हों।

नदियाँ बहती हैं मीठे स्वाद से,
संगीत का सागर अनमोल सा,
ग़ज़लें खिलती हैं बसंत के रंगों में,
प्रेम ही सजे इस ज़िंदगी के महफिल में।

जी आर की यादों में बिखरेगा काव्य रस।

जी आर कवियूर
18-01-2025

सुकून की तलाश (ग़ज़ल)

सुकून की तलाश (ग़ज़ल)

दिल में ख्याल है बस तेरे लिए,
कैसे कहूं हाल ये मेरे बिना तेरे लिए।

जी तो रहा हूं पर सुकून कैसे,
तेरे बिना ये दिल बहलाए कैसे तेरे लिए।

तेरी यादें जैसे हवा का झोंका,
दिल में तू हो, पर सामने नहीं होता तेरे लिए।

कैसे जी लूं मैं, तेरे बिना,
वो मुस्कान, वो तेरा प्यार कहाँ तेरे लिए।

तेरे बिना ये जिंदगी खाली सी लगती,
हर खुशी में तेरा चेहरा नजर आता तेरे लिए।

इंतजार है बस तेरा ही,
तू आए तो सारा जहां रोशन हो तेरे लिए।

तेरे बिना जीना है मुश्किल,
सुकून नहीं रहे जी आर को।


जी आर कवियूर
18-01-2025

Friday, January 17, 2025

तुम इतना क्यों खफा हो हमसे (ग़ज़ल)

तुम इतना क्यों खफा हो हमसे ( ग़ज़ल)

तुम इतना क्यों खफा हो हमसे,
इश्क के नाम से क्यों तुम्हें।
इतनी बेखुदी हो रही है क्यूं,
वक्त की मुरादों में बेवफाई है क्या?

दिल को न समझाया हमने,
हर जख्म को सहलाया हमने।
फिर भी तेरी खामोशी क्यों,
जुबां पे कोई सच्चाई है क्या?

चांदनी रातें भी अब रोती हैं,
सितारे भी खामोश होते हैं।
तेरे दीदार की इस तड़प में,
आसमान की रुसवाई है क्या?

तुम्हारी बाहों का जो सपना था,
अब एक अधूरी दास्तां सा है।
जुदाई के इन सन्नाटों में,
छुपी हुई कोई परछाई है क्या?

तुम इतना क्यों खफा हो हमसे,
इश्क के नाम से क्यों तुम्हें।
इतनी बेखुदी हो रही है क्यूं,
वक्त की मुरादों में बेवफाई है क्या?

जी आर कवियूर
17 -01-2025

Wednesday, January 15, 2025

यादों का सफर (ग़ज़ल)

यादों का सफर ( ग़ज़ल)

सदियों से पुकारते रहे तुम्हें,
यादें तुम्हारी हर वक्त सताएं।

तन्हाई में तेरा जिक्र जो हुआ,
आँखों से अश्क बहते ही जाएं।

रूठे थे जो लम्हे कहीं खो गए,
फिर भी तेरे ख्वाब हमें लुभाएं।

फासले ज़माने ने बढ़ा दिए,
मगर दिल से तुम्हें दूर न कर पाएं।

तेरे बग़ैर दिल वीरान सा है,
ख्वाबों में तेरी तस्वीर सजाएं।

मुस्कान तेरी अब भी यादों में है,
चाहत की राहें खुद ब खुद बनाएं।

ज़ख्म जो दिए तूने भरे न कभी,
हर दर्द में अब हँस के मुस्कराएं।

'जी आर' की दिल से है बस इल्तिजा,
एहसास प्यार का तुम भी तो जगाएं।

जी आर कवियूर
16 -01-2025


Tuesday, January 14, 2025

खामोशियों के राज़ (ग़ज़ल )

खामोशियों के राज़ (ग़ज़ल )

खामोशियां जो कह गईं, वो अल्फाज़ बन गए,
जिन्हें हम छुपा न सके, वो राज़ बन गए।
दिल के दरिया में उठते हैं मौजों के सिलसिले,
तेरे बिना ये पल भी बेज़ुबान बन गए।

हर दर्द में तेरी तस्वीर छुपी रहती है,
हर ख़ुशी में तेरी झलक बसी रहती है।
चाहा जो तुझे सच्चे दिल से हमने,
हर दुआ में तेरी आरज़ू बची रहती है।

मोहब्बत की इस डगर पर चलते-चलते,
सारे ज़ख्म भी जैसे फूल बन गए।
'जी आर' ने बस तुझसे वफ़ा निभाई,
और तुझ पर अपनी हर सांस छोड़ गए।

जी आर कवियूर
14 -01-2025

तेरे लिए (ग़ज़ल )

तेरे लिए (ग़ज़ल )

तेरे खिलाफ दुनिया मुंह मोड़ दे,
मैं और मेरी मोहब्बत बस तेरे लिए।
बेफिक्र रहो जहां कहीं भी हो,
मेरी जान बस तेरे लिए, सिर्फ तेरे लिए।

उम्र बीत जाए, तो भी कोई बात नहीं,
यादों का गुलिस्तान बस तेरे लिए।
प्यार के नाम पर, हर शोखियों में,
मौत के मुंह से भी छीन लाऊंगा तुझे।

हर ग़म को तेरे नाम से मिटा देंगे,
तेरे हर ख्वाब को अपनी दुआ देंगे।
जी आर की धड़कन हमेशा कहे,
उनकी यादों में ही ये सांस रहे।

जी आर कवियूर
14 -01-2025

Monday, January 13, 2025

भक्ति का प्रयाण

भक्ति का प्रयाण

सूरज की किरणें, नई रोशनी लाएं,
मकर संक्रांति का पर्व, खुशियां फैलाएं।
तिल-गुड़ का स्वाद, मिठास भरे दिलों में,
पतंगों के संग, सपने उड़ें गगन में।

पोंगल की महिमा, धान के खेतों में गूंजे,
प्रकृति के संग, हर जीव आनंद में झूले।
केरल की धरती, सबरीमाला की शान,
मकरज्योति का प्रकाश, भक्ति का प्रयाण।

लोहड़ी की आग, जीवन को जगाए,
गिद्धा-भंगड़ा की धुन, दिलों को महकाए।
बिहू के रंग, असम के संगम की शान,
बैसाखी का पर्व, नई फसल का जश्न है।

जी आर कवियूर
14 -01-2025


तेरी आँखों का सागर

 तेरी आँखों का सागर

रात की गहराई में,
तेरी आँखों का सागर बुलाता है।
हर लहर में,
एक नया ख्वाब दिखाता है।

दिल में अब भी एक तलब है,
तेरे दीदार की राह सजाता है।
तेरी खुशबू से भरा ये जहां,
हर सांस को बहलाता है।

तेरी हंसी की सरगम सुन,
मेरे ख्वाबों का जहां संवरता है।
हर दर्द को तेरे नाम से,
मेरा दिल अब मिटाता है।

जी आर का दिल ये कहता है,
तेरे बिना हर पल अधूरा लगता है।

जी आर कवियूर
14 -01-2025

महाकुंभ मेला: एक पवित्र गीत

महाकुंभ मेला: एक पवित्र गीत

गंगा की लहरों में, इतिहास बहता,
यमुना के संग संग, अद्भुत कहता।
सरस्वती माँ का, अदृश्य सहारा,
तीन धाराओं का, दिव्य उजियारा।

महाकुंभ मेला, पवित्रता का प्याला,
हर मन का सपना, हर जन का निवाला।
साधु-संतों का, संगम यहाँ मिलता,
ध्यान और तप में, जीवन सिमटता।

शिव का आशीष, गंगा का प्रवाह,
विष्णु की महिमा से, जुड़ा हर राह।
ब्रह्मा के सृजन की, यह है निशानी,
त्रिदेव की कृपा, सजी कहानी।

पापों का नाश, पुण्य का बहाव,
त्रिवेणी का जल, है मोक्ष का चाव।
विश्व को संदेश, यहाँ से जाता,
आस्था का सागर, यहाँ लहराता।

जी आर कवियूर
13 -01-2025

Sunday, January 12, 2025

"तेरी नजरों का बयान"

"तेरी नजरों का बयान"


दिल को उठाकर जबान पर रखा है,
समझ कर भी अनजाना बना है तू।
और क्या बताऊं, दिन में रात,
प्यार की बात समझाई नहीं जाती।
ऐ सजन, प्यार तो महसूस किया जाता है।

तेरी खामोशी में बसती है सदा,
दिल की धड़कन से जुड़ी है दुआ।
जो कहना चाहूं, वो कह ना सकूं,
तेरी नजरों से हर राज बयां।

इश्क़ कोई सौदा नहीं, ये एहसास है,
दिल से दिल का जुड़ता विश्वास है।
लफ्ज़ों से नहीं, खामोशी से सुन,
प्यार की जुबां में बस तू ही तू है।

जी आर कवियूर
13 -01-2025

रात की विरहा राग

रात की विरहा राग


संध्या देवी ने कुमकुम लगाई 
चिड़ियाँ गाईं, हरि नाम जपे
रात के चाँद ने मुस्कान लहराई
चुपके से निशापति ने आहट दी

तारों ने आँखों में ख्वाब सजाए
हवा ने छुआ, उदासी समेटी
मुलायम बुनियाद पर खामोशी ने
तेरे प्यार की कमी को महसूस किया

विरहा की वेदना में गाया
रात के पंछी का शोक गीत
यादों की राह पर चलते हुए
तेरे आने का इंतजार किया अकेले

जी आर कवियूर
12 -01-2025



भीगी संध्या धुन

भीगी संध्या धुन

आँखों में बसी एक हलकी सी धुंध,
हर ख्वाब में गूंजे वो संगीतमय राग।
सांसों में बस जाएँ कुछ चाँदनी के पल,
और दिल के भीतर जागे नयी सी साज।

रंगीन पंखों से बहती हवाएँ,
बरसात की ऋतु का संगम समाई।
हर एक पल में बसी एक मीठी याद,
जिसे दिल ने गूंजते हुए सुना था ग़ज़ल।

यादों की छांव में बसी एक आंधी,
दिलों में बसी कुछ पुरानी तन्हाई।
हमने भी चाहा था वो मिलन की घड़ी,
जिसे ढूँढते हुए हम, खो गए थे क़दम।

जी आर कवियूर
12 -01-2025


Saturday, January 11, 2025

"विरह की तपिश"

"विरह की तपिश"

तन्हाई की आग में तड़पता रहा,
तुम्हें ना पता, मैं यादों की भीड़ में।
हर एक ख्वाब में तेरा चेहरा मिला,
दिल डूबता रहा इश्क़ की जमीं में।

लब खामोश हैं, मगर दिल चीखता है,
तेरे बिना ये जहाँ अधूरा सा दिखता है।
हर एक शाम ने तेरा नाम पुकारा,
हर एक रात ने दिया दर्द का सहारा।

तेरी बाहों में थे जो सुकून के पल,
अब वो बस कहानियों की तरह लगते हैं।
आ लौट आ, मेरी जान बनके,
तेरे बिना ये साँस भी रुकते हैं।

इश्क़ तेरा मेरी रूह में बसा है,
हर धड़कन पे तेरा नाम लिखा है।
तन्हाई के इस सागर में डूबा हूँ,
तेरे प्यार के किनारे पे रुका हूँ।
 
जी आर कवियूर
12 -01-2025

संपूर्ण संसार के लिए।

संपूर्ण संसार के लिए।


धनु मास की सुबह की ठंडी हवा में
हिमालय की पुत्री, मनोहरि,
किसी को ध्यान में खोयी हुई तुम,
पशुपति या नीलकंठ की पूजा करती हो।

हिम की पहाड़ियों पर जैसे रंगीन दृश्य,
कैलाश पर्वत, सुखमय महल की तरह,
चाँद अपने बालों में चमकता हुआ,
गंगा शुद्ध जल के साथ शिव की जटा से बहती है।

आकाश गंगा जैसे प्रेम की बारिश,
धरती को आशीर्वाद देने आई।
शिव और पार्वती के मिलने पर,
प्रेम काव्य रचकर, संपूर्ण संसार के लिए।

जी आर कवियूर
11 -01-2025

Friday, January 10, 2025

"तेरी यादों में छुपी दुआ" (ग़ज़ल)

"तेरी यादों में छुपी दुआ" (ग़ज़ल)

हर दर्द का तू ही हो दवा,
यादों में आती हो बनकर दुआ,
तेरी हंसी की ख़ुशबू हो जैसे,
सांसों में घुल जाए वो ताजगी का रंग।

तेरी यादों में सुकून है पाया,
तेरे बिना हर लम्हा अजनबी सा लगता है,
तेरे बिना दुनिया वीरान सी लगती,
तेरे होठों पे मुस्कान बस हो, 
हर दर्द ख़त्म हो जाता है।

मेरी दुआओं में है तेरा नाम,
दूरी से भी तुम हो पास़ी के जाम,
तेरी यादें बनीं अब मेरा साथ,
ज़िन्दगी के सफ़र में बेहतरीन ख़ुदा।

 जी आर कहे दिल में उसके,
याद दर्द देती है, फिर भी हम ख़ुश हैं उसके साथ।**

जी आर कवियूर
10 -01-2025

यादों की ख़ामोशी

यादों की ख़ामोशी 

तेरी यादों से रचता है शायद
बसंत की कोई मधुर ख़ुशबू
प्रेम का पराग या कोई एहसास,
या कोयल का विरह भरा गीत.

तेरे स्नेह की लहरों में
छुपे हैं मेरे सारे सपने,
हवा में खिली कोई मौन प्रीत
यहीं महसूस करता है मेरा मन.

पलकों के उठते ही जैसे
शाम के चाँद की सुंदर छवि,
अनजाने आए कोई स्वप्न-स्मृति
सामने चमके प्रेम की उम्मीदें.

जी आर कवियूर
10 -01-2025

Thursday, January 9, 2025

तेरी वक्त की धारा

तेरी वक्त की धारा

महकती है, बहकती है,
ख़ामोशियों में उभरती है।

तू हर साँस में शामिल है,
तेरी यादें भी चमकती हैं।

चमकते चाँद से बातें करूं,
तेरे इश्क़ की जो राहतें हैं।

हर एक लम्हा तेरा अपना है,
हर अदा में हसरतें हैं।

तू जो पास नहीं फिर भी,
तेरा अहसास बरसता है।

मेरी रूह में, मेरी बातों में,
तेरा नाम बस बसता है।

जी आर कवियूर
10 -01-2025

ग़ज़ल: मेरी तमन्ना है तेरा प्यार

ग़ज़ल: मेरी तमन्ना है तेरा प्यार

मेरी तमन्ना है तेरा प्यार,
तनहा दिल में है तेरी याद।

हर ख़्वाब में तेरा अक्स मिले,
हर साँस में है तेरा फ़रियाद।

दूर रहकर भी पास लगता है,
तेरे बिना ये दिल है बर्बाद।

चुप रहूँ तो लब थरथराते हैं,
तेरा ज़िक्र करे मेरा दिलबाग़।

हर लम्हा तुझसे गुज़रता है,
जैसे बहारों में गुलफ़िशां।

तू है सितारा मेरी रातों का,
दिल में बसा है तेरा जहां।

जख़्म छुपाए फिर भी हँसते हैं,
इश्क़ का ऐसा ही इम्तिहान।

जी आर ने लिखी ये ग़ज़ल तेरे लिए,
हर एक साज़ में है तेरा बयान।

जी आर कवियूर
10 -01-2025

Wednesday, January 8, 2025

"क्षण की सच्चाई"

"क्षण की सच्चाई"

पल ही जीवन का असली सार है
सपने, चाहे पंख हों, सीमाएँ रखते हैं

बीते हुए कल के विचार भुलाए जा सकते हैं
क्या आज हमें कल की ओर नहीं ले जा सकता?

मन अपनी ही छवियाँ उकेरता है
पर सच्चाई सिर्फ वर्तमान में बसती है

समय के साथ उठे संदेह धीरे-धीरे मिट जाते हैं
यह एक सांस ही सारी उम्मीद का आधार है

जीवन अपनी स्पष्टता में अभी प्रकट होता है
सत्य ही एकमात्र मार्ग है जो अडिग रहता है

सपनों को सत्य से ही अर्थ मिलता है
यह पल ही चिरंतन गवाह है।


जी आर कवियूर
09-01-2025

Tuesday, January 7, 2025

"तेरे बिन वीरान हूँ" (ग़ज़ल)

"तेरे बिन वीरान हूँ" (ग़ज़ल)

अनजाने में खो गया
वसंत का एक दर्द,
बिना कहे रह गया
जीवन का बड़ा अर्थ।

आँखें खुली नहीं थीं
सपने होंठों पे थे,
यादों में डूबा दिल
तेरे करीब ही थे।

भूल पाना मुमकिन नहीं
चाँद सा दिल ये कहता,
हर तरफ तुझे खोज रहा
जैसे खोया है रहता।

हवा में खिला फूल
तेरी खुशबू है क्या?
तेरी हंसी में छुपा
सारा जादू सजा।

इस थकावट में
तू लौट आए अगर,
फिर गा सकेगी ज़िंदगी
आँखों में रंग भर।

तू जो आए, जी उठे,
जीवन की बहार जी उठा।
तेरे बिन वीरान हूँ,
कहता है दिल से जी.आर।

जी आर कवियूर
08-01-2025

संगम की यादें

संगम की यादें

मोरे मन मुकु पर तुम्हारे
यादें आईं सरगम के साथ,
जैसे कोयल की वाणी,
सुर में खो जाने की चाहत।

तुम हो जैसे मधुर राग,
दिल में बसी हो तुम्हारी छांव,
चाँदनी रातों में तुम्हारी यादें,
आतीं हैं, जैसे कोई बेमोल ख्वाब।

सांसों में बसी तुम, हर इक पल,
तेरी हँसी में छुपी ख़ुशबू जैसे,
प्यार की एक मीठी धारा,
जो बहती जाती है, दिल से दिल तक।

जी आर कवियूर
07-01-2025



"दिल की हालात" (ग़ज़ल)

"दिल की हालात" (ग़ज़ल)

कैसे कहूँ मैं दिल की हालात को,
तन्हाई में खोया हर बात को।

बेबस हूँ इन तन्हा दिनों-रात में,
ढूँढूँ उसे हर एक ख्यालात में।

चुपचाप देखे हैं चाँद और तारे,
जिनसे मिलें हैं हम तेरे इशारे।

दिल में बसी उसकी तस्वीर है,
दर्द से सजी एक तहरीर है।

यादों के साए हैं साथ मेरे,
गुज़रे दिनों की मिठास मेरे।

शायर 'जी आर' की बातें बस,
घूमें हर पल उसकी यादों में।

जी आर कवियूर
07-01-2025

Monday, January 6, 2025

"तेरी यादों के गुलाब" (ग़ज़ल)

"तेरी यादों के गुलाब" (ग़ज़ल)

तेरे होठों की लाली देख,
दिल में यादों के गुलाब खिले।
तेरी ज़ुल्फों की छांव तले,
हमने चाहत के ख्वाब बुनें।

तेरी आँखों के जाम में,
इश्क़ का दरिया समा गया।
हर शब तेरी सूरत को देख,
चाँद भी खुद पे शर्मिंदा हुआ।

तेरी खुशबू से महके चमन,
तेरी बातों से रोशन जहाँ।
तेरे कदमों की आहट से,
धड़कनें जैसे बेकाबू हुईं।

तेरा मिलना दुआओं का फल,
तेरा बिछड़ना सज़ा सा लगे।
हर घड़ी तेरी यादों के संग,
हमने अश्कों के दीप जलाए।

अगर हो सके तो लौट आ,
ज़िंदगी में बहार ले आ।
तेरे बिना ये वीरान दिल,
ख़ाली सफ़हा बना पड़ा।

क्या ये ग़ज़ल तेरा नाम ले,
जो कभी जी आर ने लिखी तेरे लिए।

जी आर कवियूर
07-01-2025

तन्हाई से, दूर तू जाओ ना। (ग़ज़ल)

तन्हाई से, दूर तू जाओ ना। (ग़ज़ल)

तेरी निगाहों से निकली
अंगारों में दिल जल उठा
बस एक फरियाद है,
ऐसे तड़पाओ ना, तन्हाई से।

तेरे बिना ये रातें कटती नहीं,
हर पल मैं तुम्हें याद करता हूं।
मेरे ख्वाबों में तुम बस जाओ,
दिल की गहराई से मुझे याद करो।

तुम हो तो कुछ भी अधूरा नहीं,
तेरे बिना, सारा जहां सूना है।
ये दिल कहे तुझे बस चाहूं मैं,
तन्हाई से, दूर तू जाओ ना।

जी आर कवियूर
07-01-2025

तू ही मेरी ज़िंदगी का सवेरा।

तू ही मेरी ज़िंदगी का सवेरा।

तुझे अपने तो नूर बना दिया,
बिना चाँद का जहाँ सजा दिया।
तेरी बातों में खुशबू बसाई है,
दिल के हर कोने में जगह बनाई है।

तेरे बिना ये दिन सून पड़े हैं,
तेरी यादें ही हमसफ़र बने हैं।
जो खो गया, वो फिर पा लिया,
तू पास हो, तो जैसे सारा जहां सजीला है।

तेरी यादों का दीप जल रहा,
हर सवेरा मुझे खिला रहा।
तू जो पास हो, रौशन ये समां,
तेरे बिना अधूरा हर एक जहां।

जी आर कवियूर की दुआ में असर बस तेरा,
तू ही मेरी ज़िंदगी का सवेरा।

जी आर कवियूर
06-01-2025


तेरे गीतों की गूंज

तेरे गीतों की गूंज

अनुराग के तीर पर खड़ा मैं,
सुन रहा हूँ तेरे गीतों को।
बह रही है पवन की बयार,
चुपके से, तेरी यादों को।

समंदर की लहरें जैसे तुझसे,
मिलने का कोई रास्ता खोजें।
आकाश और धरती मिलते हैं,
तेरी आँखों में जो रंग छुपें।

तेरी हँसी की ध्वनि में खो जाए,
हर एक पल, वही सुकून है।
जब भी बिन तेरे ये दिन बीते,
उम्र भर का एक दर्द होगा।

जी आर कवियूर
07-01-2025


याद तरसे तेरी जुदाई (ग़ज़ल)

याद तरसे तेरी जुदाई (ग़ज़ल)

याद तरसे तेरी जुदाई,
दिल की धड़कन आज भी।
तेरे बिना ये सांझ सून,
बिखरी दुल्हन आज भी।

तेरी राहों के फूल चुनूँ,
दिल में चाहत आज भी।
वो सावन की बूंदें छूकर,
लिखती उल्फ़त आज भी।

क्यों ना आए वो पल हसीं,
गूंजे नग़्मा आज भी।
कैसे कह दूँ भूल चुका,
दिल में तड़पन आज भी।

जी आर की दुआओं में,
जिंदा चाहत आज भी।

जी आर कवियूर
06-01-2025


तेरी यादों की घुटन" (ग़ज़ल)

तेरी यादों की घुटन" (ग़ज़ल)

ये कैसा इंतहान है,
वक़्त ने हमसे किया।
तन्हाई में पलने को,
मजबूर हमें किया।

तेरी यादें इस कदर,
सताती हैं हर घड़ी।
जीने को मजबूर है,
मगर दिल में है घुटन।

आँखों में तेरी सूरत,
ख्वाबों में हर पल है।
रुसवा किया ज़माने ने,
पर दिल में वो हलचल है।

तेरे बिना ये दुनिया,
बेज़ार सी लगती है।
हर सांस तेरा नाम ले,
मोहब्बत जो रचती है।

जी आर आज भी तेरी आग की
चिंगारियां लिये जीते है।
तेरे इश्क़ के अफ़साने,
हर मोड़ पे सुनाते है।

जी आर कवियूर
06-01-2025

Sunday, January 5, 2025

आत्मा की वेदना (ग़ज़ल)

आत्मा की वेदना (ग़ज़ल)

आत्मा की किताब के पन्नों पे
अभी तक बिन जाने मैंने दर्द लिखा है,
जीवन की राह पर हर कदम है कठिन,
जैसे दीप की लौ में हलचल सी हो जाए।

जब खोले थे आंखें, देखा कुछ खो गया,
प्रेम की मुस्कान पल भर में गायब हो गई।
चुप्प की छाया,
आंखों में समेटे हुए दर्द का साया।

इस जीवन की हर बात खत्म हो चुकी है,
पर एक और जन्म में फिर मिलेंगे हम,
क्या समय हमें साथ लाएगा,
इन अनमोल लम्हों का इंतजार करेंगे हम।

जी आर चिंतित है, क्या फिर मिलेंगे हम?
हमारा प्यार, जन्मों तक रहेगा संग।

जी आर कवियूर
05-01-2025

Saturday, January 4, 2025

"तेरी याद का उजाला" (ग़ज़ल)

"तेरी याद का उजाला" (ग़ज़ल)

मांगी मन्नतें बस तेरे लिए,
मेरी जन्नतों की दुआ तू ही है।
हर ख्याल में तेरी महक बसी,
मेरे ख्वाबों का पता तू ही है।

तेरी बातों का नूर बाकी है,
मेरे लफ़्ज़ों की वफा तू ही है।
बिन तेरे हर घड़ी अधूरी है,
ज़िंदगी का फलसफा तू ही है।

तेरे ग़म से भी रौशन है दिल,
मेरी हर ख़ुशी की वजह तू ही है।
'जी आर के' की ये तड़प कहे,
दिन कटते नहीं तेरी याद बिना।

जी आर कवियूर
05-01-2025

Friday, January 3, 2025

तेरे नाम के उम्मीदों पे (ग़ज़ल)

तेरे नाम के उम्मीदों पे (ग़ज़ल)


तेरे नाम के उम्मीदों पे,
जी रहा हूं इस मोड़ पे।
सहता हूं हर दर्द-ओ-ग़म,
बस तेरे प्यार की डोर पे।

माना मुश्किलें हर कदम,
खड़ी हैं मेरे हर छोर पे।
पर दिल ने ये ठानी है,
साथ देंगे तुम एक रोज़ पे।

तेरे बिन ये रात अधूरी,
चाँद भी फीका है घोर पे।
तड़प जी आर की है गहरी,
तेरे दीदार की तलब हर ओर पे।

जी आर कवियूर
04-01-2025

तेरे इंतज़ार की आग (ग़ज़ल)

तेरे इंतज़ार की आग (ग़ज़ल)

आए हैं तेरे द्वार, पाने के लिए प्यार,
दिल को नहीं करार, तेरा ही इंतज़ार।

ज़ख़्मों को जोड़ने, लाए हैं अपनी चाह,
तेरी गली का सफर, बन जाए मेरा संसार।

आँखों में तेरा नाम, दिल में तेरी सदा,
हर लम्हा तुझसे जुड़ा, हर सांस है वफ़ादार।

फूलों से कर ली बात, चांद से मांगी दुआ,
तेरा मिलन हो कभी, मिट जाए दिल की पीर।

ख़्वाबों के गांव में, अब तक बसे हो तुम,
सावन की हर फुहार, करती तेरा इज़हार।

यादें तुम्हारी जलाएं, हर एक शब में दीप,
आँखें नमी से भरी, दिल पर लगे अंगार।

चाह इतनी 'जी.आर.', सीने में आग जलती,
यादों के गुल खिले हैं, हर दर्द है गुफ़्तार।

जी आर कवियूर
04-01-2025

Thursday, January 2, 2025

"दिल की तन्हाई" (ग़ज़ल)

"दिल की तन्हाई" (ग़ज़ल)

तेरे ग़म भुलाना आसान नहीं है,
यादों के इस मंज़र में तनहाई भी कम नहीं है।
तेरे बिना जो बीते हैं दिन, वो लम्हे हम नहीं भूलते,
आँखों में जो ख्वाब हैं, वो भी अब तक कम नहीं है।

दिल में तेरे हर एक अल्फ़ाज़ की गूंज सुनाई देती है,
तेरी यादों में खो जाने की राह हमेशा दिखाई देती है।
इन्हें दिल से निकाल दूँ, ये पल मैं कब कर पाया,
तेरे बिना सब कुछ अधूरा, यही एहसास है मेरा।

जी.आर.के. यादों से मिटती नहीं अब तो,
चले आओ, तुम ही दिल की तन्हाई को खत्म करो।
दिल की धड़कनें में तेरे नाम को पुकारता राहु,
तुमसे मिलने की चाहत, अब तो ये राहत भरती हैं।

 जी आर कवियूर
03-01-2025

होंठों में रहेगी वो बात,(ग़ज़ल)

होंठों में रहेगी वो बात,(ग़ज़ल)


होंठों में रहेगी वो बात,
दिल में जो समा गई है।
नज़रों के इशारे से,
जिंदगी सजा गई है।

चुप रहकर भी उसने,
दास्तां बयां कर दी।
उसकी मुस्कान ने जैसे,
दुनिया नई दिखा दी।

राहों में छुपे थे जो फूल,
उसने बहार ला दी।
हर एक ख्वाब को मेरे,
हकीकत बना गई है।

सांसों में उसकी महक,
दिल को सुकून दे गई है।
होंठों में रहेगी वो बात,
दिल में जो समा गई है।

 जी आर कवियूर
02-01-2025

Wednesday, January 1, 2025

"तेरी यादें"

"तेरी यादें"

झूठी कसमें देने नहीं आती,
सच कहूँ दिल की बात जताती।

दिल तेरा हर घड़ी धड़कता है,
चुप रहूँ तो भी ये समझाती।

चाँदनी रातें, तेरा ख्याल लाए,
तेरी खुशबू सदा बहलाती।

हर नजर में तेरा ही चेहरा है,
हर खुशी तेरी याद दिलाती।

फूल जैसे नर्म तेरे अल्फ़ाज़,
जिनकी ख़ुशबू मुझे महकाती।

हर ग़म भूलकर जीते हैं 'जी आर',
तेरी यादें मुझे बस रुलाती।

 जी आर कवियूर
02-01-2025

नववर्ष की ग़ज़ल

नववर्ष की ग़ज़ल

हर बार आती है ख़ुशबू नयी, बहारों की,
हर ग़म छुपा के चलो, बात प्यारों की।

नये सपनों की राहें बुला रही हमको,
कहानी लिखें चलो फिर से इशारों की।

नये सूरज की किरणें हैं, आस का सबब,
ख़त्म हो रात, उम्मीदें हैं सितारों की।

दिलों में जलाओ दीया दोस्ती का फिर,
दुनिया को जरूरत है अब सहारों की।

गुज़रा जो पल, वो सबक बनके रह गया,
अब बात करते हैं बस इरादों की।

जिन्हें खो दिया, उन्हें याद भी करेंगे हम,
मगर लकीर खींचें नए किनारों की।

वो देख, सुबह है, बदलते हैं रास्ते,
चलो करें शुरुआत फिर नज़ारों की।

जीने का हौसला हर बार लाती है,
बातें पुरानी मगर हैं ख़ुमारों की।

जी आर कहते हैं, हर साल बीत जाता है,
मगर तेरे आने की उम्मीद पर जीता गया।

 जी आर कवियूर
01-01-2025