Monday, June 30, 2025
भाई जैसा कोई नहीं" ( ग़ज़ल)
मौक़ा तो दे" (ग़ज़ल)
Sunday, June 29, 2025
हरियाली: प्रकृति का उपहार
मनुष्य – एक सरल कहानी"
एक नई शुरुआत
मौन की राह में(गुरुदेव श्री श्री से प्रेरणा)
अकेले विचार – 83
Saturday, June 28, 2025
अकेले विचार – 82
अकेले विचार – 81
अकेले विचार – 80
अकेले विचार – 79
अकेले विचार – 78
सच्ची सौगात!
सनातन की निःशब्द पुकार
फैलता आनंद
सत्यवेल का संदेश
अब तेरे राहों में ( ग़ज़ल )
Friday, June 27, 2025
ग़ज़ल - भीगी इस रात की तन्हा सी चुप्पी में
Saturday, June 21, 2025
ग़ज़ल: तू एक किताब थी
संगीत की परछाइयाँ (ग़ज़ल)
अकेले विचार – 77
अकेले विचार – 76
ग़ज़ल "उसका दीदार"
Friday, June 20, 2025
योगा सर्व श्रेष्ठ
“आसमान से गिरी एक बूँद”
Wednesday, June 18, 2025
तेरे लिए तरसा (ग़ज़ल)
अकेले विचार – 75
अकेले विचार – 75
प्रसिद्धि की चाह में जो भलाई हो,
वो रेत पर लिखी कहानी है।
खामोशी में जो सेवा करे,
वो सच्ची इंसानी निशानी है।
काग़ज़ के फूल भले ही चमकें,
पर उनमें खुशबू कहाँ से लाएँ?
सुगंध बिन बोले बिखरती है,
जिन्हें सब महसूस तो कर पाएं।
जो प्रार्थना दिल से न निकले,
वो केवल शब्दों की चाल है।
सच्ची भक्ति ही पहुँचती ऊपर,
बाकी सब तो केवल सवाल है।
जी आर
कवियुर
१८ ०६ २०२५
Sunday, June 15, 2025
अकेले विचार – 74
अकेले विचार – 73
Friday, June 13, 2025
अकेले विचार – 72
अकेले विचार – 73
Thursday, June 12, 2025
अकेले विचार – 71
Wednesday, June 11, 2025
घर की आत्मा
अकेले विचार – 70
Tuesday, June 10, 2025
एकाकी विचार - 69
Monday, June 9, 2025
"साज़ भी चुप हैं अब" (ग़ज़ल)
चंद्र: एक गाथा
हे सूर्यदेव, प्रकाश के साक्षी
Sunday, June 8, 2025
एकाकी विचार - 68
Saturday, June 7, 2025
एकाकी विचार - 67
पढ़ना - सबक और किताबों का गीत
युगों-युगों से समय की फुसफुसाहट
Thursday, June 5, 2025
एकाकी विचार - 63
हमारी धरती, हमारी ज़िम्मेदारी"(विश्व पर्यावरण दिवस गीत )
Wednesday, June 4, 2025
एकांत विचार – 62
एकांत विचार – 62
ज़िन्दगी एक सफर है बदलते राहों का,
कभी ऊँचाई, कभी गहराईयों का.
काले बादल छिपा सकते हैं सुबह,
जल्द ही चमक उठेगी नई रौशनी.
हार दस्तक देती है चुपचाप दरवाज़े पर,
अंदर का हौसला बना देता है परवाज़.
हर आँसू एक सिख देती है,
हर मुश्किल नई दिशा दिखाती है.
रास्ता कठिन लगे तो भी आशा थाम लो,
अंधेरे में भी साहस बनता है रोशनी.
आज गिरे हो, कल उड़ान भरोगे,
यक़ीन रखो, मंज़िल करीब ही होगी.
जी आर कवियुर
०४ ०६ २०२५