उनके पास यह देखने का समय नहीं था कि कौन इंतज़ार कर रहा है,
क्षणों का पीछा करते हुए, भाग्य से दौड़ते हुए।
आँखें आगे टिकाए, वे तेज़ी से चले,
उन दिलों को भूल गए जिन्हें उन्होंने लहूलुहान कर दिया।
जो लोग दिन-रात इंतज़ार करते रहे,
कोमल आशा के साथ, मज़बूती से थामे रहे।
खामोश ताकत में, उन्होंने अपना दर्द छुपाया,
जैसे फूल गर्मियों की बारिश के लिए तरसते हैं।
लेकिन जब व्यस्त लोगों ने मुड़कर देखा,
वहाँ कोई प्रतीक्षा करने वाली आत्मा नहीं थी।
समय उड़ गया था, दरवाज़े बंद हो गए थे,
खोया हुआ पल, हमेशा के लिए जम गया।
जी आर कवियुर
०९ ०६ २०२५
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