Sunday, June 15, 2025

अकेले विचार – 74

अकेले विचार – 74

"कल का अख़बार"

क्यों भागे उस हवा के संग,
जो चली नहीं अभी किसी रंग?
सपनों की होती है अपनी राह,
किसने देखा कल की चाह?

चिंताएँ आती हैं जैसे धुंध सुबह की,
पर रुकती नहीं किसी एक दिशा की।
उम्मीदें जन्मती हैं इस पल में,
ना कि डर में छुपे कल में।

शांति तभी मिलती है जब मन शांत हो,
ना कि किसी अनदेखे भ्रम की खोज हो।
इस साँस को जी ले सच्चाई से,
कल खुद बताएगा अपनी कहानी सबसे।

जी आर कवियुर 
१६ ०६ २०२५

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