Sunday, June 29, 2025

हरियाली: प्रकृति का उपहार

हरियाली: प्रकृति का उपहार

पत्तियाँ लहराएँ पवन की चाल,
पेड़ों में गूंजे शांति का लाल।
मुलायम घास बिछी ज़मीं पर प्यार से,
प्रकृति का स्पर्श हो जैसे स्नेह से।

चिड़ियाँ पाएँ आश्रय सुंदर,
नदी बहे नीरव और निर्मल।
छाया, शांति, करुणा की धारा,
मन को दे राहत की प्यारी ध्वनि सारा।

हर एक पत्ता आशा का संदेश,
स्वच्छ हवा का मीठा परिवेश।
इस सुंदरता को हम संभालें,
धरती सदा हरी-भरी रहें। 

जी आर कवियुर 
30 06 2025

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