Saturday, June 28, 2025

अब तेरे राहों में ( ग़ज़ल )

अब तेरे राहों में ( ग़ज़ल )


अब तेरी राहों में नज़रें बिछाए हैं
हर आहटों में तुझे ही बुलाए हैं

तेरे बिना हर शाम अधूरी लगे मुझको
चाँदनी रातों में भी उदासी समाए हैं

तुझसे मिले मुद्दतें बीत गई हैं मगर
अब भी तेरे ख़्वाब दिल में समाए हैं

सांसों में महकती है तेरी याद की ख़ुशबू
तेरे जाने के बाद भी ये रंग लाए हैं

आँखें भरी हैं, होंठ खामोश हैं लेकिन
लबों से न बोले, दिल सारे फ़साने सुनाए हैं

‘जी आर’ ने लिख दी है ये दिल की ग़ज़लें
तेरे तसव्वुर में ही अशआर आए हैं

जी आर कवियुर 
28 06 2025

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