हे सूर्यदेव, प्रकाश का सागर,
जीवन का स्रोत, मार्गदर्शक पुकार।
गायत्री मंत्र हृदय की धड़कन में बहे,
भक्ति जागे हर नज़र की आंख में।
भोर होते दूर धरती को पुकारो,
किरणों से खुशियाँ, नया जीवन दो।
पेड़ों और जंगलों में रंग खिले,
तेरे स्पर्श से हरियाली मिले।
ग्रह तेरे चक्र में घूमते हैं,
मौन में भी जीवन को देते हैं।
हवा और बारिश में तेरा संगीत बजे,
तेरी चमक सृष्टि को सजाए।
भारत भूमि में उजला दीपक तू,
मंत्रों में तेरा पावन रूप गूंजे।
"ॐ भूर्भुवः" की गूंज सुन जब,
हर दिल में ज्योति तेरी जलती रहे।
जी आर कवियुर
०९ ०६ २०२५
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