अकेले विचार – 75
प्रसिद्धि की चाह में जो भलाई हो,
वो रेत पर लिखी कहानी है।
खामोशी में जो सेवा करे,
वो सच्ची इंसानी निशानी है।
काग़ज़ के फूल भले ही चमकें,
पर उनमें खुशबू कहाँ से लाएँ?
सुगंध बिन बोले बिखरती है,
जिन्हें सब महसूस तो कर पाएं।
जो प्रार्थना दिल से न निकले,
वो केवल शब्दों की चाल है।
सच्ची भक्ति ही पहुँचती ऊपर,
बाकी सब तो केवल सवाल है।
जी आर
कवियुर
१८ ०६ २०२५
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