Thursday, June 12, 2025

अकेले विचार – 71

अकेले विचार – 71

“मन का उजाला”

खुशी न धन में, न नाम में है,
न ही महलों और आराम में है।
सच्चा सुख तो मन में बसता,
जो खुद से खुद ही जुड़कर हंसता।

विचार हमारे जब निर्मल होते,
अंधेरे में भी दीपक होते।
दुनिया बदले, हो तूफ़ान भारी,
भीतर की शांति ही सबसे प्यारी।

मुस्कान हमारी सोच से आती,
न कि चीजों से, ये बात सच्ची।
मन को सिखाओ अच्छाई देखना,
तो जीवन में आएगा सुख रचना।

जी आर कवियुर 
१२ ०६ २०२५

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