Saturday, June 21, 2025

संगीत की परछाइयाँ (ग़ज़ल)

संगीत की परछाइयाँ (ग़ज़ल)

हर इक साज़ की लय में जज़्बात समा गया,
संगीत मेरा हर दर्द छुपा गया।

कभी शबनमी बन के कानों में बरसा,
कभी दिल के वीराने को गुलज़ार बना गया।

सुरों की उस रूहानी बारिश में,
दर्द भी मुस्कुरा कर बहा गया।

जब बांसुरी ने रात को गीत सुनाया,
तो तनहाई को भी चैन आ गया।

हर धुन ने इक रिश्ता जोड़ा दिलों से,
अजनबी को भी अपना बना गया।

"जी आर" जब भी गीतों में गुम हो गया,
ख़ुशी का साया हर सू लहरा गया।

जी आर कवियुर 
२१ ०६ २०२५

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