एक सोच से करें हम आरंभ सच्चा।
गहरी साँस, एक मौन मुद्रा,
भीतर बहती शांति की धारा।
तन को फैलाएं, मन हो प्रसन्न,
प्रकृति की लय में बहे जीवन।
झुके ये शरीर, गाए आत्मा,
छोटे पलों में सुख समा।
प्राचीन कला, ध्यान का ज्ञान,
जोड़े दिलों को, दे स्नेह भान।
एक साथ हम सब चलें आगे,
मनाएँ मिलकर यह विशेष योग का दिन।
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