जब माँगा मैंने प्यार भरा,
मिला बस कुछ सिक्का अधूरा।
दौड़ के रिश्ते, दिखावे के,
सच्चा ना था कोई भी चिह्न।
मन की गहराई से जो दे,
बस वही है असली प्रेम।
हर मुस्कान, हर साथ नहीं,
हर चेहरा सच्चा साथ नहीं।
जो दिल को सच में छू जाए,
उसी को अपनाओ जीवन में।
जो चमके वो सोना नहीं,
सच्चा प्यार ही होता धन।
जी आर कवियुर
24 06 2025
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