Saturday, June 28, 2025

अकेले विचार – 82

अकेले विचार – 82

अपने भीतर जो गलती दिखे,
वही सच्चा ज्ञान बन सके।
झुककर कहना "मैं था ग़लत,"
इससे बड़ी न कोई हिम्मत।

नहीं ज़रूरी हरदम जीत,
सच बोलना है असली रीत।
जो चुपचाप स्वीकार करे,
वो सबसे ऊँचा स्थान भरे।

अहंकार जब नीचे झुके,
तभी उजाले दिल में रुके।
गर्व नहीं जो दोष छुपाए,
वो ही पुण्य कहलाए।

जी आर कवियुर 
२६ ०६ २०२५

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