Tuesday, June 10, 2025

एकाकी विचार - 69

एकाकी विचार - 69


तेरे आने पर अश्रु थे आँखों में,
मुस्कानें थीं हर एक साँसों में।
नन्हें पाँवों की आहट बनी गीत,
घर में गूँजा स्नेह संगीत।

समय की रेखा चुपचाप चली,
सपनों ने अपनी दुनिया बुन ली।
फिर एक दिन सब मौन हुआ,
प्राण पंख लगा नभ को छू गया।

स्वर्ग ने दी मीठी पुकार,
धरती रोई उस अंतिम वार।
यादें बन कर साथ रहीं,
प्रेम की गाथा अमर कहीं।

जी आर कवियुर 
१० ०६ २०२५

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