Sunday, June 1, 2025

तेरी परछाई में ( ग़ज़ल)

तेरी परछाई में ( ग़ज़ल)  

दिल के आईने में छाया बनकर तू आई है
हर एक साँस में बस तेरी ही परछाई है

तेरे ख़्वाबों की बारिश में भीगते हैं हम
तेरी याद हर लम्हे में भर लाई है

जो कहा न जा सका लफ़्ज़ों में कभी
तेरी ख़ामोशी ने वो बात समझाई है

तू कहीं भी हो मगर दिल में रहे यूँ ही
तेरे बिन भी इस दिल को रौनक आई है

हर दुआ में तुझे माँगा है इस दिल ने
तू ही चाहत, तू ही मेरी खुदाई है

'जी आर' ने हर जज़्बात तुझसे ही तो पाई है
तू नज़्मों में ढली, तू ही मेरी रुस्वाई है


जी आर कवियुर 
०२ ०६ २०२५

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