Thursday, July 17, 2025

हँसी में छुपा दर्द" (ग़ज़ल )

हँसी में छुपा दर्द" (ग़ज़ल )


कभी किसी ने न साथ दिया, न शिकवा किया हमने
हर एक दर्द को हँस कर जिया, फ़साना बना हमने

तन्हा सफ़र में चिराग़ों को जलाए रखा दिल ने
अंधेरों से भी रौशनी का रास्ता चुना हमने

हर एक मोड़ पर ज़िंदगी ने इम्तहान लिया
मगर हर मोड़ को अपनी राह बना लिया हमने

लबों पे रख के ख़ामोशी, दिल में तूफ़ाँ रखा
बिखरते जज़्बातों को भी साज़ बना दिया हमने

महफ़िलों में कोई नाम न पूछे तो क्या ग़म
‘जी आर’ कह के अपनी हस्ती जता दिया हमने

जी आर कवियुर 
17 07 2025

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