गुरु पूर्णिमा और शुक्रवार – एक भक्ति गीत
इस पावन शुक्रवार की सुबह,
भक्ति की लय बहे हर दिशा।
मंत्रों की गूंज हवा में घुले,
प्रभा की किरणें धीरे-धीरे खुले।
फूल चढ़ाएं चरणों में,
प्रेम-ज्योति दीपों में।
आरती का स्वर है गूंजता,
मन में आनंद है जागता।
पूर्णिमा की चांदनी छाई,
गुरु-कृपा की बूँदें लाई।
अंधकार अब दूर हुआ,
प्रकाश का दीपक भर उठा।
गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु महान,
गुरु ही हैं शिव का पहचान।
गुरु के बिना ना राह मिले,
गुरु-स्मरण ही जीवन खिले।
सौ बार नाम उनका लें,
श्रद्धा से नमन हम दें।
इस गुरु पूर्णिमा के दिन,
स्वयं को अर्पित करें गुरुचरण।
जी आर कवियुर
10 07 2025
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