कैसे बताएं दिल के फ़साने को,
कितनी मोहब्बत करते हैं हम तुम को।
हर एक मोड़ पर रोका है इस दिल ने ज़माने को,
मगर न रोक सका मैं याद में बहते अफ़साने को।
चुपचाप सह लिया हर वार वक़्त के बहाने को,
बस दिल ने थाम रखा है प्यार के निशाने को।
तेरे बिना अधूरी थी ज़िंदगी के दीवाने को,
अब सुकून देता है बस तेरा नाम जुबाने को।
छूट जाए अगर ये साथ, क्या कहें इस बहाने को,
ख़ुदा भी माफ़ नहीं करता टूटते पैमाने को।
अब ‘जी आर’ भी समझ चुका है इश्क़ के फ़साने को,
वो भूल नहीं सकता अब अपने दिल के दीवाने को।
जी आर कवियुर
26 07 2025
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