Thursday, July 24, 2025

हमको तेरे ग़म ने मारा (ग़ज़ल)

हमको तेरे ग़म ने मारा (ग़ज़ल)

हमको तेरे ग़म ने मारा, ज़िंदगी ने साथ मारा
हर खुशी से दूर रहकर, हर घड़ी ने मात मारा।

तेरी यादें जब भी आईं, आँख ने बस नम किया है
ख़्वाब टूटा, चैन खोया, हसरतों ने घात मारा।

वक़्त की रफ़्तार थमती, गर तुझे पा लिया होता
इक तुझे ही तो न पाया, बाक़ी सब हालात मारा।

दिल ने जब भी बात की है, नाम तेरा ही लिया है
लोग कहते हैं मोहब्बत, मगर इस जज़्बात मारा।

अब न शिकवा है किसी से, बस यही अफ़सोस बाकी
जिसको चाहा जान से भी, उसने ही दिन-रात मारा।

'जी आर' ने सब सहा चुपचाप, फिर भी ना शिकवा कोई किया
जिसे चाहा जान से बढ़कर, उसी ने हर बात मारा।

जी आर कवियुर 
24 07 2025

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