उम्मीद की रोशनी में
खामोशी में ईश्वर बनते हैं प्रार्थना का फूल,
अदृश्य हाथों से बदलते हैं तक़दीर का उसूल।
आशा की मशाल लिए चल पड़ते हैं हम,
आँखें ना देखें फिर भी दिखता है उजास हर दम।
प्रेम साथ रहने का नाम नहीं होता सदा,
जिसके बिना अधूरी लगे हर दास्तां और वादा।
माफ़ी दिल की धुन में खोलती है द्वार,
खामोशी में भी ईश्वर करते हैं काम अपार।
कुछ फूल छाँव में ही खिलते हैं चुपचाप,
कुछ आँसुओं में भी मुस्कुराते हैं आप।
दूसरों को बदलने से पहले खुद को संवारें,
रात भी भागती है सुबह को पुकारें।
जी आर कवियुर
06 07 2025
No comments:
Post a Comment