कभी ना मिटने वाली एक परछाई
मन की चुप्पी में फिर से मुस्काई
बीते कल की मधुर कहानी
बरसात सी छू जाए रूह पुरानी
एक मुस्कान की झलक उभरी
आँखों में चुपचाप नमी निखरी
खामोश कदमों की जैसे आहट
सपनों में गहराती कोई राहत
तेरे बोले अल्फ़ाज़ बरस पड़े
शब्दों की माला में बंध गए
हवा संग बिखरी तेरी खुशबू
जैसे दीप जले जीवन रूपू
जी आर कवियुर
18 07 2025
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