प्यार-सा गहना नहीं कोई,
इस दुनिया में अनमोल ही सही।
राजमुकुट भी फीका लगता है,
उस चमक के आगे कुछ नहीं।
मोती-रत्न की ज़रूरत नहीं,
दिल को मिलती जो राहत वहीं।
राजा भी झुक गया उसके लिए,
जिसमें हो आत्मशांति की बही।
ना मोल लगे, ना तोला जाए,
जो आत्मा को रौशनी दे जाए।
ईश्वर का वह अमूल्य खज़ाना,
जीवन को जिससे अर्थ मिल जाए।
जी आर कवियुर
25 07 2025
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