अकेले विचार – 92
आंधियाँ जब राह में आएं,
साहस की मशाल जलाएं।
आँसू बहें बिना कहे,
मन का बोझ चुपचाप ले जाएं।
अंधेरे जब गहराते हैं,
उजाले खुद को जताते हैं।
चोटी चाहे ऊँची हो,
इरादे पक्के बनाते हो।
छिन जाए जो पास था,
समझ कहीं गहरा मिलता सा।
घाव जो कल टीसते थे,
अब सच्चाई से परिचय देते।
जी आर कवियुर
26 07 2025
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