Friday, July 4, 2025

"तेरी मुस्कुराहट" (ग़ज़ल)

"तेरी मुस्कुराहट" (ग़ज़ल)

तेरी मुस्कुराहट में ही ज़िंदगी है मेरी
बस इसे बचाए रखना आरज़ू है मेरी

तेरे साथ चलूँ तो लगे सफ़र आसान
तेरे बिन अधूरी सी हर आरज़ू है मेरी

तेरी याद से महके हैं मेरे दिन-ओ-शब
तू जो पास हो तो क्या गुफ़्तगू है मेरी

तन्हाई में भी अब तेरा एहसास रहे
तेरे साये से जुड़ी जुस्तजू है मेरी

हर लफ़्ज़ में बस तू ही तेरा नाम रहे
तू ही इब्तिदा है और तू ही नुक़्तह-ए-ख़त्म भी है मेरी

'जी आर' ने जो दिल से दुआएं दी हैं तुझे
वो सदा बहार रहे, ये ही आरज़ू है मेरी

जी आर कवियुर 
05 07 2025

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