एक उंगली बहते विचारों की ओर इशारा करती है,
आँगन की पत्तियों से शीतलता बहती है,
धरती पर कोमलता से उकेरी गई प्रार्थनाएँ,
हवा की लय में एक सपना रचा गया।
वह एक बच्चे की मासूम मुस्कान में पिघल जाती है,
रंगों के छूते ही मौन हो जाती है,
उबलते जल में घुलती है ऊष्मा,
मंदिर के फूलों से बरसते हैं प्रतिबिंब।
वह लटकते पालने की रस्सी-सी आगे बढ़ती है,
धुंधली परछाइयों के बीच जीवन चक्कर लगाता है,
स्मृतियों के पंखों पर चुपचाप लिखा गया,
हथेली ने दुःख की एक कथा फुसफुसा दी।
जी आर कवियुर
12 07 2025
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