Friday, July 18, 2025

विश्वास

विश्वास

अंधेरे घंटों में एक कोमल सा उजाला,
हिम्मत टूटे तो यह आशा बन कर बोलता है।

आंधियों और बरसात के बीच एक मौन डोर,
दर्द होते हुए भी दिल को यह संभालता है।

निराशा को उठाने वाले अदृश्य परों जैसा,
एक वादा जो बिना तुलना के साथ निभाता है।

तुम्हारी आत्मा और मेरी रूह के बीच बहती नदी,
शांत विश्वास में पनपता एक अनोखा रिश्ता।

सपने देखने की हिम्मत रखने वालों में यह खिलता है,
हर चुप बहती धारा में इसका प्रकाश झलकता है।

जहां डर गहराई में जड़ें जमाता है,
वहीं यह दिलों को जोड़ना सिखाता है।

जी आर कवियुर 
19 07 2025

No comments:

Post a Comment