हर एक झलक में बसी सी कोई नज़र — तेरी याद
आँसू में डूबी हुई हर एक खबर — तेरी याद
शबनम सी पिघली हुई हर इक असर — तेरी याद
हँसी में भी छुपकर रही इक सफ़र — तेरी याद
धूपों में छांव सी बनकर चली वो तसव्वुर
हवा में भी घुलकर बसी इक नज़र — तेरी याद
अनकहे ख्वाबों की कविता में जो ढलती रही
हर मिसरे में बनती रही हमसफ़र — तेरी याद
क्या लौट आएगा फिर वो बीता हुआ बचपन
जिसकी सदा थी कभी मेरा घर — तेरी याद
"जी आर" की तन्हा सदा बनके बहती रही
जो दिल में बसी थी वो आख़िरी दर — तेरी याद
जी आर कवियूर
25 07 2025
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