Monday, July 14, 2025

"चाँदनी"

"चाँदनी"

तेरी भीगी आँखों में चंदन की ख़ुशबू,
आधी रात में एक सपना खिला।
नीले गगन की चुप सी रंगत में,
तेरे पास होने का अहसास मिला।

तेरी मुस्कान में जागी कोमलता,
जैसे रेशमी पंखों सी धड़कन उड़ी।
तारे पलकों को धीरे से खोलें,
हवा में तेरी मौजूदगी बसी।

चाँदनी में दिल ने सुर खोजा,
हर नज़ारे में तू ही नज़र आया।
छायाएँ पीछे धीरे चलीं,
और प्यार मन में खिलने लगा।

जी आर कवियुर 
15 07 2025

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