Friday, July 18, 2025

पक्षी

पक्षी

एक हवा उसकी ख़ुशियों की उड़ान को ढोती है,
प्रभात की रोशनी में पंख चमकते हैं।

डालियों से आकाश तक सुर बहते हैं,
उनकी उड़ान में ही उम्मीद जगती है।

पत्तों की छांव में सपनों का घोंसला बनता है,
और मौन को कोमलता से गूंजित करता है।

अद्भुत पंख नील को छूते हैं,
हर दृश्य में आनंद उगता है।

उनकी सुंदरता के बिना धरती स्थिर लगती है,
सूने जंगल, एक खाली पहाड़ी।

सूरज का स्वागत करने को कोई कोमल झंकार नहीं,
एक दुनिया जिसमें प्रकाश कम है, गीत खो गया।

जी आर कवियुर 
19 07 2025

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