Tuesday, July 29, 2025

"भूल नहीं सकता"

"भूल नहीं सकता"

दूर कहीं धीरे-धीरे तुम
समय के क्षितिज पर जैसे एक सुमन।
यादें दिल में खिलती जातीं,
रातों में अश्क़ बनकर बह जातीं।

बदलते मौसम, ढलती शाम,
तेरे प्यार में बसता है मेरा नाम।
शब्दों से परे, वो कोमल स्पर्श,
आज भी देता है दिल को हर्ष।

ये यात्रा बन जाए तीर्थ कभी,
तेरे आँसू में बहूं मैं अभी।
आसमान साक्षी, खोया समय,
तेरी परछाई में बसा है जीवन मेरा।

जी आर कवियुर 
29 07 2025

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