सरल जीवन, सुखी हृदय
कभी किसी को हराने की कोशिश न कर,
उठाने को हाथ बढ़ा — यही है सच्चा संवर।
एक मुस्कान है अनमोल रत्न, बाँट इसे खुलकर।
दूसरों को गिराकर मत चढ़ ऊँचाई की राह,
चलो करुणा के चाँदनी पथ पर बिना कोई आह,
दया की डोरी थामे हम पहुँचेंगे दूर निगाह।
जो दुख में है, उसकी हँसी न उड़ाओ कभी,
हँसो साथ में जैसे वर्षा की बूंदें नर्मी से बही।
हँसी में झलके प्रेम की वह मीठी सी लहर अभी।
प्रकाश बाँटो, न भागो नाम के पीछे तुम,
हर आत्मा समान है इस जीवन के संगम में।
जहाँ अहंकार रुकता है, वहीं शांति फूलती है मन में।
जी आर कवियुर
24 07 2025
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