Monday, July 28, 2025

अकेले विचार – 94

अकेले विचार – 94

दुनिया बोलती है सौ आवाज़ों में,
हर बात में न हो सच्चाई छिपी कहीं।
कुछ सच गुम हो जाते शोर में,
समझदार मन चलता है धीमे पथ में।

जो समझदार है, वो रुकना जानता है,
हर बात में उलझना नहीं मानता है।
हज़ार राहें दिखती हैं सामने,
हर मंज़िल न हो ज़रूरी अपने।

चमक में नहीं, शांति में खोजो रौशनी,
मन की आवाज़ है सच्ची दृष्टि।
जो सच में जानता है, वो शोर नहीं करता—
समझ की कला है क्या अनदेखा करना।

जी आर कवियुर 
29 07 2025

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