Saturday, July 19, 2025

ताल

ताल 

प्रकृति की ताल गूंजे दूर,
शांत पहाड़ करें श्वास भरपूर।
तारों की बांसुरी रोशनी से बोले,
काल निशब्द गति में डोले।

प्रभा की किरणें राग सुनाएँ,
हवा की चंचलता तान जगाएँ।
हृदय जपे सूक्ष्म स्वर,
जीवन चमके ईश की डोर।

शाश्वत स्पंदन बहता धाराओं में,
लहरें इसे आत्मा तक पहुँचाएँ।
मौन में संगीतमय प्रकटता,
जीवन की सच्चाई लहरों की ताल से मार्ग दिखाए।

जी आर कवियुर 
19 07 2025

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