तुम्हारा तन तुम्हारा साथ निभाए,
हर सुख-दुख में कदम बढ़ाए।
दर्द भी समझे, मुस्कान भी पाए,
हर रास्ते में तुम्हारे संग आए।
आराम दो जब थक जाए,
पोषण दो, जब ऊर्जा घट जाए।
चलने दो, साँस लेने दो,
भीतर की आवाज़ सुनने दो।
ये कोई वस्तु नहीं त्यागने की,
ये है शक्ति, आत्मा की झलक दिखाने की।
इससे प्रेम करो, ध्यान से जियो—
शरीर की देखभाल में जीवन बुनो।
जी आर कवियुर
31 07 2025