हवा, फूल, मानव
दिन के नीले आकाश की तरह,
मानव नई आशाओं के साथ चलता है।
हवा में बहती नदी के रूप में,
मन फैलता है, बहता है और छिपता है।
फूल खिलेंगे और उनकी आँखें मुस्कुराएंगी,
फिर भी समय के किनारे पर, वे बदल जाएँगी।
जब बारिश होगी और मिट्टी गहरी हो जाएगी,
विचारों की छाया हानियों की गिनती करेगी।
प्रेम चाँदनी की तरह होगा,
स्थिर नहीं, बदलने की जगह देने वाला।
पहले यह गीत गाएगा, फिर गायब हो जाएगा,
भावनाएँ हृदय की धाराओं से बहेंगी।
हवा और तितलियाँ सेवा देंगी,
प्रकृति के विचित्र नहीं — बल्कि नियम।
फिर भी जो नहीं देखता और नहीं सीखता,
वह मानव स्वार्थ की चादर में ढका है।
दरवाजा खोलो, और हवा उड़ जाएगी,
फिर भी पेड़ों की चोटियाँ स्थिर रहेंगी।
हल्की बारिश में या गहरी मुस्कानों में,
स्वभाव प्रकृति का प्रतिबिंब बन जाता है।
नई भोरें हृदय में उगेंगी,
पुरानी यादें स्मृति में सो जाएँगी।
जीवन फूलों के दृश्य मार्ग की तरह है,
जो हम अनुभव करते हैं और जो छोड़ देते हैं,
लेकिन केवल प्रेम ही शाश्वत रहेगा।
जी आर कवियुर
23 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)