गीत:
यह मीठा दर्द क्यों नहीं मिटता है
यादों के मेलों में
आखिर यह सफर कहां तक जाएगा
तन्हाई की रेलों में
गहराइयों में छुपे हैं
तेरे नाम के साये
हर ख्वाब में बसी है
तेरी यादों की छाया
हर मोड़ पर तुझको
मैंने देखा है फिर से
इस दिल की वीरानी में
तू ही है एक साया
सपनों की जुगनू में
तेरे साये बिखरे हैं
फिर क्यों ये बेरुखी
मेरे साथ रहती है, जले
यह मीठा दर्द क्यों नहीं मिटता है
यादों के मेलों में
आखिर यह सफर कहां तक जाएगा
तन्हाई की रेलों में
जी आर कवियूर
31 10 2024