तू आने में क्यों देरी कर रही हो,
तेरी यादें रंगीन परों सी मंडरा रही हैं
मेरे ख्वाबों की दुनिया में।
अधूरी तसवीरों में तुझे तलाशते हुए,
हर याद का स्पर्श मानो एक एहसास,
जो जागते ही खो जाता है,
मेरी पलकों पर बसी एक ओस की बूँद बनकर।
हवा संग बहता ये खयाल,
तेरी मुस्कान का जादू फैलता है,
मेरे सूने रास्तों पर,
जैसे नींद में कोई बाग़ हो।
अगर तू मुझमें समाने आए,
वो प्यार का रिश्ता और गहरा होता है,
तेरी मोहब्बत की चमक से
मेरी रूह को रोशन कर दे।
जी आर कवियूर
29 10 2024
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