Thursday, October 17, 2024

जब कोई बात हो ( ग़ज़ल )

जब कोई बात हो ( ग़ज़ल )

जब कोई बात हो
चांदनी रात हो
तेरी याद सताती है
फिर कभी मुलाकात हो

दिल की सदा सुनो
ख्वाबों में तुम आओ
धड़कन की सरगम हो
बाहों में सिमट जाओ

तारों की रोशनी में
तेरा ही चेहरा हो
इक पल का वो जादू
हमेशा का पहरा हो

तुमसे ही हर लम्हा
दिल को सुकून मिले
खामोशियों में छुपी
तेरी ही बात चले

यूँ ही हंसी बिखेरो
रात यूँ महक जाए
तुम मेरे पास आओ
दुनिया ये रुक जाए

जी आर कवियूर
17 10 2024


No comments:

Post a Comment